किडनी (गुर्दे) की बिमारियों को दूर करने वाले 7 घरेलू उपाय
आज कल की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी और गलत खान पान की वजह से लोगों की किडनी बहुत जल्दी खराब होने लगती है। अगर आप अपनी किडनियों को स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रखना चाहते हैं तो इसके लिए औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करना फायदेमंद साबित हो सकता है। प्रकृति में उत्पन ये औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी बूटियां, आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ किडनी की बीमारियों, कैंसर, सूजन और हानिकारक संक्रमणों से शरीर को बचाए रखने में सहायक साबित होती हैं। किडनी हमारे शरीर का मुख्य भाग होता है जो रक्त को साफ करके शरीर की कोशिकाओं में संचारित करती है और हानिकारक रक्त की गंदगी को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालती है। परन्तु कई बार हानिकारक रक्त शरीर से बाहर नहीं निकल पाता और वह किडनियों में जमा होता रहता है जो आगे चलकर किडनी की पथरी और कैंसर जैसी हानिकारक बीमारियों का रूप ले लेता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी किडनी रक्त के जमाव से मुक्त रहे तो आपको आयुर्वेदिक औषधियों का इस्तेमाल करना चाहिए। इस लेख में हम किडनी को स्वस्थ और रोगों से मुक्त रखने वाली 7 आयुर्वेदिक औषधियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करेगें ।
आइये जानते हैं उन 7 घरेलू उपचारों के बारे में जिनके उपयोग से आप किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं
1. अमरबेल के फूल का सेवन लाभकारी
आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार किडनी को अनेक बिमारियों से सुरक्षित रखने की सबसे अच्छी औषधि, अमरबेल के फूल को माना गया है। प्रकृति में उत्पन्न अमबेल का यह फूल पीले रंग का होता है। आयुर्वेद में इस फूल का प्रयोग प्राचीन काल से ही शरीर में रक्त विकारों को दूर करने, रक्त को साफ और संतुलित बनाए रखने के लिए किया जाता रहा है। किडनी की बिमारियों से ग्रसित व्यक्ति को अमरबेल के फूल का रस तैयार करके, उसके एक से दो चम्मच का सुबह खाली पेट, नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। यह किडनी और लीवर को अनेक बिमारियों से सुरक्षित रखता है, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी लाभकारी साबित होता है।
2. करौंदा, एक महत्वपूर्ण औषधि
अगर आप चाहते हैं कि आपकी किडनी बिमारियों से मुक्त रहे तो आपके लिए करौंदे का उपयोग करना फायदेमंद होगा। आयुर्वेद के अनुसार करौंदा किडनी के रोगों को दूर करने की रामबाण औषधि साबित होती है। करौंदे के अंदर भरपूर मात्रा में प्रतिउपचायक (एंटीआक्सीडेंट) जैसा लाभकारी गुण पाया जाता है। यह आपकी किडनियों से हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालने में सहायक साबित होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में करौंदे को आपके शरीर से हानिकारक यूरिक एसिड को बाहर निकालने के लिए भी जाना जाता है ।
3. अंगूर के बीज भी है उत्तम औषधि
आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी भी व्यक्ति को किडनी में पथरी है तो उसको नियमित रूप से अंगूर का इस्तेमाल करना चाहिए। अंगूर का बीज किडनी की पथरी को गलाकर मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार अंगूर के बीज के अंदर प्रचुर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जो मूत्रप्रवाह को बढ़ाने में लाभकारी होता है। इसलिए किडनी की पथरी से पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से अंगूर का सेवन करना चाहिए।
4. अदरक एक असरदार औषधि
अदरक को आयुर्वेद में अपने अनेक औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है जिसका उपयोग प्राचीन काल से ही अनेक बिमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार अदरक शरीर में रक्त को स्वच्छ और संतुलित रखने में सहायक साबित होता है। अगर अदरक का सेवन काढ़े के रूप में रोजाना सुबह खाली पेट किया जाए, तो यह किडनी से हानिकारक बैक्टीरिया को मूत्राशय के रास्ते बाहर निकालने में फायदेमंद साबित होता है, अदरक के अंदर पाया जाने वाला महत्वपूर्ण एंटी आक्सीडेंट गुण गुर्दों को हानिकारक संक्रमण से सुरक्षित रखता है ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि अदरक वात और कफ दोष को संतुलित रखने वाला, सूजन को कम करने वाला, कब्ज को दूर करनेवाला, गले के रोगों और सर्दी को दूर करने वाला, कड़वा, उष्ण शक्ति वाला, भूख बढ़ाने वाला, कामशक्ति को बढ़ाने वाला और हृदय रोगों में लाभकारी औषधि माना गया है ।
संदर्भ – धन्वंतरि निघण्टु, (स्वर्णादिवर्ग), श्लोक – 84 |
5. मंजिष्ठा एक लाभदायक जड़ी – बूटी
मंजिष्ठा एक लाभकारी गुणों से युक्त औषधीय पौधा है जिसको आयुर्वेद में सबसे उपयोगी माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार किडनी की बिमारियों को दूर करने में मंजिष्ठा लाभदायक जड़ी बूटी साबित होता है। यह शरीर के रक्त विकारों को दूर कर किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है। अगर मंजिष्ठा की छाल के काढ़े का सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन किया जाए तो यह गुर्दों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में भी असरदार साबित होता है ।
6. गुडूची एक फायदेमंद जड़ी बूटी
अगर किसी भी व्यक्ति को शरीर में रक्त से संबंधित कोई भी समस्या है तो उसके लिए गुडूची एक महत्वपूर्ण औषधि मानी गयी है।आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार गुडूची का उपयोग शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। अगर रक्तविकारों से परेशान व्यक्ति गुडूची से तैयार अर्क का रोज सुबह खाली पेट सेवन करता है, तो यह प्रयोग रक्त को स्वच्छ रखने के अलावा, रक्त के संतुलन में भी लाभकारी होता है। इस प्रयोग का अगर धूम्रपान और शराब पीने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह एक असरदार औषधि है जो रक्त-विकारों को दूर कर शरीर को स्वस्थ रखती है।
7. धतूरे की जड़ भी मददगार
एक शोध के अनुसार अगर यूरिक एसिड और रक्तविकारों से ग्रसित व्यक्ति धतूरे की जड़ का इस्तेमाल करता है, तो यह इन समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ गुर्दों को स्वस्थ और रोगमुक्त रखने में सहायक साबित होता है। धतूरे की जड़ से अर्क तैयार कर, सेवन करने से रक्त साफ़ और संतुलित रहता है और किडनी को भी मजबूत बनाए रखता है।
व्याख्या-इस श्लोक में कहा गया है कि धतूरा मद, व्रण, जठराग्निकारक तथा वातकारक एवं ज्वर, कुष्ठ नाशक, कषाय मधुर तथा तिक्तरस से युक्त, जुऐं और लीखों को दूर करने वाला, उष्णवीर्य, गुरु तथा व्रण, खुजली, कृमि तथा विष का नाशक होता है।
संदर्भ- भावप्रकाश निघण्टु ,(गुडुच्यादिवर्ग ),श्लोक -86-87 ।
ध्यान देने योग्य बात
- शरीर के अंदर रक्तचाप को संतुलित रखें ।
- शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें ।
- शुगर को संतुलित रखें ।
- वैद्य की सलाह के बिना किसी भी दवाई का सेवन न करें ।
- बहुत ज्यादा नमक की मात्रा का सेवन हानिकारक ।
- व्यायाम को अपनी जीवनशैली में जोड़ लें ।
आहार में शामिल करें
- फाइबर युक्त भोजन
- रोज़ाना एक सेब
- देसी गाय के दूध से बनी दही
- भोजन के साथ, सलाद के रूप में प्याज
गुर्दों के खराब होने के मुख्य लक्षण
- मूत्रविसर्जन ठीक से न होना ।
- पेशाब करते समय दर्द होना ।
- हर समय थकावट महसूस करना ।
- शरीर में सूजन आना ।

Dr. Vikram Chauhan

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