मकोय-एक गुणकारी प्राकृतिक पौधा-Dr Vikram Chauhan
मकोय के पौधे को अनेक जगहों पर देखा जा सकता है परन्तु इसके औषधीय गुणों के बारे में जानकारी न होने के कारण लोग इस पौधे का फायदा नहीं उठा पाते ।
मकोय पौधे का परिचय
इस औषधीय पौधे की पत्तियां मिर्च के पत्तों के समान होती हैं यह लाभकारी पौधा पूरा साल फल और फूलों से भरपूर रहता है इसके फूलों का रंग सफेद होता है इस पौधे का फल सूक्ष्म आकार का होता है । इस पौधे की तासीर गरम होती है आयुर्वेद में इस पौधे का इस्तेमाल प्राचीन काल से अनेक बिमारियों को दूर करने के लिए होता आ रहा है ।भारत देश में यह पौधा अनेक क्षेत्रों में पाया जाता है ।आयुर्वेद के अनुसार यह पौधा आपके स्वस्थ के लिए बहुत लाभकारी होता है मकोय के पौधे के अंदर मैग्नीशियम ,कैल्शियम ,पोटेशियम ,आयरन और फास्फोरस जैसे लाभकारी खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में पाए जाते है जो आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इस पौधे का सेवन आपके शरीर में वात पित्त और कफ दोष को शांत रखने में सहायक होता है भारत के अलावा यह औषधीय पौधा बांग्लादेश ,भूटान और श्रीलंका के कुछ भागों में विकसित होता है । आयुर्वेद में यह पौधा अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है ।इस लेख में हम मकोय के बिमारियों को दूर करने वाले गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें ।
मकोय के अन्य भाषों में नाम
- हिंदी – मकोय, छोटी मकोय
- इंग्लिश – गार्डेन नाइटशेड, ब्लैक नाईटशेड , मोरसैली
- संस्कृत – काकमाची, ध्वाक्षमाची, वायसी
- उर्दू – मकोय
- पंजाबी – काकमाच
- कन्नड़ – काकारूण्डी
- गुजराती – पीलुडी
- तमिल – मनट्टक्कली
- तेलुगु – काकमाची
- बंगाली – काकमाची
- नेपाली – पेरे-गोलभेरा , काकमाची, कालीगेडी
- मलयालम – करींटाकली
- मराठी – कामोनी , काकमाची
- अरबिक – अंबुसालाप
- फारसी – रूबहतारिक
आयुर्वेद के अनुसार शरीर के अंदर त्रि दोषों पर मकोय के प्रभाव
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार मकोय का सेवन शरीर के अंदर तीनों दोषों वात ,पित्त और कफ को संतुलित रखने में सहायक साबित होता है ।इस प्राकृतिक पौधे का स्वाद कड़वा और कषैला होता है जिसकी वजह से ये शरीर से हानिकारक पदार्थों को बहार निकलने में मददगार साबित है और शरीर के अंदर कफ और पित्त दोष को संतुलित बनाए रखता है ।
व्याख्या – इस श्लोक में कहा गया है कि मकोय वात पित्त और कफ को संतुलित रखने में सहायक होता है,रेचक रोग में लाभकारी ,गला रोगों में फायदेमंद ,कड़वा होता है ,गरम होता है ,कुष्ठ रोगों में लाभकारी और कामोत्तेजना को बढ़ाने में लाभकारी औषधि साबित होता है ।
संदर्भ – धन्वंतरि निघण्टु ,श्लोक -19 ।
इस औषधीय पौधे के बिमारियों को दूर करने वाले गुण आइये जानते हैं
त्वचा रोगों की उत्तम औषधि
इसके अंद रपाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरिया महत्वपूर्ण गुण आपको पेट दर्द की समस्याओं से सुरक्षित रखने में मददगार साबित होते हैं ।अगर आपको त्वचा से संबंधित कोई समस्या है जैसे खुजली ,सूजन ,त्वचा पर लाल घेरे और चहरे की फुन्सी आदि में मकोय का इस्तेमाल लाभदायक माना गया है ।मकोय के त्वचा पर उपयोग के लिए आपको मकोय के पौधे के पत्तों को अच्छे से पीसकर और उस मिश्रण को त्वचा के प्रभावित भाग पर लगाने से आपको त्वचा रोगों में काफी फायदा मिलता है ।इसके अलावा आप त्वचा को रोगों से बचाए रखने के लिए मकोय की टहनियों से साग तैयार करके उसका सेवन भी कर सकते हैं ।
पीलिया को दूर करने में सहायक
पीलिया की बीमारी आपके सारे शरीर को प्रभावित करती है जिसकी वजह से आपकी त्वचा से लेकर ,आँख ,चहरा,नाखून और पेशाब का रंग पीला होने लग जाता है । ।इस बीमारी के अंदर मरीज को सिर दर्द होना ,बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना ,मस्तिष्क बुखार ,अत्यधिक थकान,चिंता आदि इन सभी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है ।अगर आप पीलिया की बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको मकोय की छाल का काढ़ा सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है ।यह प्रयोग आपकी पीलिया की बीमारी को जल्दी दूर करने के साथ साथ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है ।
ज्वर को करे जल्दी दूर
अगर आप काफी समय से बुखार से पीड़ित हैं और कोई भी दवाई काम नहीं कर रही तो आपको मकोय का इस्तेमाल करना लाभकारी सबित होता है इसके अंदर पाया जाने वाला एंटीबैक्टीरियल आपको हानिकारक संक्रमण से सुरक्षित रखता है ज्वर में आपको मकोय की जड़ का काढ़ा तैयार करके उसको सुबह खाली पेट सेवन करना फायदेमंद होता है अगर आप प्रयोग को रोजाना ३ दिन तक करते हैं तो आपका बुखार बिल्कुल खत्म हो जाता है ।
आखों को रखे रोग मुक्त
अगर आप चाहते हैं कि आपकी आँखों कि रोशनी कभी कमजोर कम न हो तो इसका सबसे अच्छा उपाय है कि कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा पानी पियें इससे आपके शरीर से हानिकारक बैक्टीरिया मूत्र मार्ग से बहार निकल जाता है इसके अलावा अगर आप बिमारियों से मुक्त रखना चाहते हैं तो आपको मकोय के पत्तों के साथ देसी गाय का घी मिलाकर उसका धुवा आँखों को देने से आपकी आखें रोगों से मुक्त रहती हैं इसके साथ साथ यहप्रयोग आपकी आँखों कि रोशनी बढ़ाने में भी मददगार होता है ।
हृदय रोगों में फायदेमंद
हृदय रोग में साँस फूलना ,त्वचा का नीला पड़ जाना ,अत्यधिक थकान का अनुभव और रक्त का शरीर में सही रूप से संचारित न होना आदि संकेत पाए जाते हैं ये सभी परेशानियां हृदय की कोशिकाओं तक आवश्यक पोषक तत्व और खनिज पदार्थ न पहुँच पाने की वजह से आती हैं इन सभी समस्याओं को दूर करने और अपने हृदय को बिमारियों से मुक्त रखने के लिए आपको मकोय की जड़ ,फल और पत्तों का रस तैयार करके सुबह खाली पेट एक चम्मच नियमित रूप से सेवन आपके हृदय रोगों को जल्दी दूर करने में असरदार साबित होता है ।
पाचन क्रिया को रखे संतुलित
आज हर व्यक्ति हेल्थी भोजन को छोड़ कर फ़ास्ट फ़ूड को रोजाना दिचर्या में सेवन करने लगा है जो उसकी पाचन क्रिया के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है इस भोजन के हानिकारक बैक्टीरया आपके शरीर में पेट दर्द ,कब्ज ,गैस ,अल्सर ,बवासीर ,भगंदर जैसी हानिकारक बीमारियां उत्पन कर देता है इन सभी बिमारियों को खत्म करने और अपने पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखने के लिए आपको नियमित रूप से सुबह और शाम मकोय की छाल का काढ़ा सेवन करना फायदेमंद होता है ।यह प्रयोग आपकी पाचन क्रिया को संतुलित रखने के साथ साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है ।
मूत्राशय के लिए लाभकारी
अगर आपको मूत्राशय से संबंधित कोई भी परेशानी है तो आपको मकोय की छाल का काढ़ा सेवन करना आयुर्वेद में सबसे उत्तम माना गया है ।इसके इस्तेमाल के लिए आपको मकोय की छाल का काढ़ा तैयार करके उसको सुबह और शाम को रोजाना सेवन करने से आपको पेशाब करते समय जलन ,पेशाब का रुक रुक के आना जैसी समस्याएं दूर हो जाती हैं इस प्रयोग का नियमित सेवन आपके मूत्र प्रवाह को बढ़ाने के साथ साथ आपके मूत्राशय और गुर्दों के दर्द में भी लाभकारी होता है ।
बवासीर में लाभदायक औषधि
आयुर्वेद के ग्रंथों के अनुसार आपके शरीर के अंदर सबसे ज्यादा बीमारियां आपकी पाचन क्रिया के खराब होने की वजह से आती हैं जैसे कि शीने में दर्द ,खाना हजम ना होना ,बार बार सिर दर्द होना ,तनाव ,थकान और हमेशा चिड़चिड़ा रहना ,हृदय रोग ,बवासीर ,लीवर में सूजन आदि अगर आप खूनी बवासीर की बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको मकोय के पत्तों का रस सुबह खाली पेट सेवन करना बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है आयुर्वेद में इस प्रयोग को खूनी बवासीर को खत्म करने की रामबाण औषधि कहा गया है ।

Dr. Vikram Chauhan

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